Skip to main content
Search
Search
iAmMadhav
Share
Get link
Facebook
X
Pinterest
Email
Other Apps
Labels
Poetry
June 24, 2025
भुलक्कड़
तुम्हारी शादी में नहीं आ पाया
हो सके तो माफ़ कर देना
“सच्ची में” वजह वाले बहाने कई हैं
जब बताऊ तो यकीन कर लेना
बताओ तारीख तक भूल गया
शर्म भी नहीं आयी इस के लिए
शायद नहीं हूँ मैं हकदार
इस रिश्ते के इसलिए
मुझे याद है की तुम
बचपन में मेरी लाडली थी
दुलारी भी थी
बस भुलक्कड़ नहीं थी
मैं हूँ, और मैं भूल गया
ये मत समझना की नाराज हूँ तुमसे
या तुम्हारी उस बचपन की गलती
का बदला ले रहा हूँ तुमसे
सच तो कई है पर तुम
यकीन नहीं करोगी
बहाना एक ही है की
मैं भुलक्कड़ हूँ और मैं भूल गया
Comments
Comments
Post a Comment